मानाकि आज यूनिकोड का चलन है लेकिन अभी भी कई सॉफ़्ट्वेयर ऐसे हैं जोकि यूनिकोड को सपोर्ट नहीं करते जिनमें कोरेल ड्रॉ, फोटोशॉफ, पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस प्रमुख हैं।
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मानाकि आज यूनिकोड का चलन है लेकिन अभी भी कई सॉफ़्ट्वेयर ऐसे हैं जोकि यूनिकोड का समर्थन (सपोर्ट) नहीं करते जिनमें कोरेल ड्रॉ, फोटोशॉप, पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस प्रमुख हैं।
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मानाकि आज यूनिकोड का चलन है लेकिन अभी भी कई सॉफ़्ट्वेयर ऐसे हैं जोकि यूनिकोड को सपोर्ट नहीं करते जिनमें कोरेल ड्रॉ, फोटोशॉफ, पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस प्रमुख हैं।
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आपात सेवा विभाग के प्रमुख एरविगियो कोरेल ने कहा कि कैनेरी द्वीप स्थित लास पालमास जा रहे विमान ने स्थानीय समयानुसार अपराह्न पौने तीन बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर लगभग पौन बजे) उडान भरी ।
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दूसरी परेशानी यह भी है कि कोरेल ड्रॉ और पेजमेकर इत्यादि सॉफ्टवेयरों के नये संस्करणों में यूनिकोड के सपोर्ट के आ जाने के बावजूद भी इनमें भारतीय भाषाओं के यूनिकोड पाठों के लिए पूर्णतया सपोर्ट नहीं बन पाया है।
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दूसरी परेशानी यह भी है कि कोरेल ड्रॉ और पेजमेकर इत्यादि सॉफ्टवेयरों के नये संस्करणों में यूनिकोड के सपोर्ट के आ जाने के बावजूद भी इनमें भारतीय भाषाओं के यूनिकोड पाठों के लिए पूर्णतया सपोर्ट नहीं बन पाया है।
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चूँकि एडोब पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस, कोरेल ड्रॉ, फोटोशॉप इत्यादि डिजाइनिंग और प्रिटिंग के सॉफ्टवेयरों में हिन्दी (यूनिकोड) का सपोर्ट उपलब्ध न होने की वजह से हम उसी पुराने फॉन्टों की शरण में जाते हैं, जिन्हें हम ताम-झाम से भरा तरीका मान सकते हैं।
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चूँकि एडोब पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस, कोरेल ड्रॉ, फोटोशॉप इत्यादि डिजाइनिंग और प्रिटिंग के सॉफ्टवेयरों में हिन्दी (यूनिकोड) का सपोर्ट उपलब्ध न होने की वजह से हम उसी पुराने फॉन्टों की शरण में जाते हैं, जिन्हें हम ताम-झाम से भरा तरीका मान सकते हैं।
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आपको डिवैलप किया हुआ टूल प्रयोग करने के बाद में बहुत प्रभावित हुआ हूँ क्योंकि आपने गूगल, माइक्रोसॉफ़्ट को भरपूर जवाब दिया है इसमे कुछ टेक्निकल कामिया हैं जैसे अगर साधारण तरीके से काम करना हो तो यह टूल ठीक काम करता है पर पेजमेकर, कोरेल ड्रॉ जैसे सॉफ्टवेर में खासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है और
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मैंने कुछ ऐसी वेबसाइटें देखी हैं, जहाँ यूनिकोड करैक्टरों को यूटिलिटी के द्वारा कोरेल ड्रॉ, फोटोशॉफ इत्यादि सॉफ्टवेयरों में किसी भी पुराने फॉन्टों (जैसे कृतिदेव, चाणक्या, शिवा इत्यादि)जैसा दिखाया जा सकता है, लेकिन फिलहाल यह यूटिलिटि रु 5000 से भी ज्यादा की है और इसके पायरेटेड संस्करण का भी चलन शुरू नहीं हो पाया है, इसलिए इस विकल्प के बारे में कम ही प्रयोक्ता विचार कर रहे हैं।