भाव संगीत का मुख्य और एकमात्र उद्देश्य कानों को अच्छा लगना है, अत: उसमें कोई बन्धन नहीं रहता-चाहे कोई भी स्वर प्रयोग किया जाए, चाहे जिस ताल में गाया जाए व आलाप, तान, सरगम, आदि कुछ भी प्रयोग किया जाए अथवा न प्रयोग किया जाए।
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भाव संगीत का मुख्य और एकमात्र उद्देश्य कानों को अच्छा लगना है, अत: उसमें कोई बन्धन नहीं रहता-चाहे कोई भी स्वर प्रयोग किया जाए, चाहे जिस ताल में गाया जाए व आलाप, तान, सरगम, आदि कुछ भी प्रयोग किया जाए अथवा न प्रयोग किया जाए।
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निश्चित रूप से भारत में मानवाधिकारों में बाल अधिकारों का कोई मूल्य ही नहीं है क्योंकि बच्चे न तो अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठा सकते हैं और न ही वे किसी राजनीतिक पार्टी के वोटर होते हैं और जो माँ-बाप को अच्छा लगे वो ही बच्चे को अच्छा लगना चाहिए बस! ये ही भारतीय संस्कृति और मान्यता है और इतनी ही क़द्र भारतीयों को अपने बच्चों की है.