अनुजा गुप्ता, दिल्ली स्थित राही (रिकवरिंग एंड हीलिंग फ्रॉम इन्सेस्ट) संस्था की संस्थापक हैं, जो वैसे वयस्कों के मदद के लिए संकल्पित उन पहली संस्थायों में से एक है, जिन्हें बचपन में कौटुम्बिक व्यभिचार का शिकार होना पड़ा.
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कौटुम्बिक व्यभिचार / निकट संबंधों / भाई बहन / पिता पुत्री / कुटुम कबीले के लोगों में परस्पर यौन सम्बन्ध की पोल खोल सकतीं हैं हमारी कुछ जीवन इकाइयां जिनका नक्शा अब बचपन में ही हाज़िर हो जाता है मांगने पर ।
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उदाहरण के लिए, संरचनावाद के एक प्रारम्भिक एवं प्रमुख वृत्तिक, नृवंशविज्ञानशास्री और मानव विज्ञानी क्लॉड लेवी स्ट्रास ने 1950 में पौराणिक कथाओं, संबंधों (गठबंधन सिद्धांत और कौटुम्बिक व्यभिचार निषेधों) तथा भोजन की तैयारी (संरचनात्मक नृविज्ञान भी देखें) सहित सांस्कृतिक घटनाओं का विश्लेषण किया.
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उदाहरण के लिए, संरचनावाद के एक प्रारम्भिक एवं प्रमुख वृत्तिक, नृवंशविज्ञानशास्री और मानव विज्ञानी क्लॉड लेवी स्ट्रास ने 1950 में पौराणिक कथाओं, संबंधों (गठबंधन सिद्धांत और कौटुम्बिक व्यभिचार निषेधों) तथा भोजन की तैयारी (संरचनात्मक नृविज्ञान भी देखें) सहित सांस्कृतिक घटनाओं का विश्लेषण किया.
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अनुजा गुप्ता, दिल्ली स्थित राही (रिकवरिंग एंड हीलिंग फ्रॉम इन्सेस्ट) संस्था की संस्थापक हैं, जो वैसे वयस्कों के मदद के लिए संकल्पित उन पहली संस्थायों में से एक है, जिन्हें बचपन में कौटुम्बिक व्यभिचार का शिकार होना पड़ा.
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यही कारण है कि ॠग्वेद में कौटुम्बिक व्यभिचार, परनारीगमन, बहुविवाह, वेश्यावृति आदि की भत्र्सना की गई है तथा असंयम, क्रोध एवं इस प्रकार के अन्य संवेगों को पाप के रुप में माना गया है और इन सबको दूर करने के लिए देवताओं का आह्मवान किया गया है ।
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मानव इतिहास का पुनर्निर्माण और सांस्कृतिक अपरिवर्तनशीलताओं का निरूपण तथा “मानव स्वभाव” के व्यापकीकरण का निरूपण, एक सिद्धांत जिसकी 19वीं शताब्दी से अनेकों दार्शनिकों (हेगेल, मार्क्स, संरचनात्मकतावाद आदि) द्वारा आलोचना की जा रही है, मानव जाति विज्ञान के उद्देश्यों में से एक रहा है, जैसे कि कौटुम्बिक व्यभिचार का प्रतिबन्ध और सांस्कृतिक परिवर्तन.
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मानव इतिहास का पुनर्निर्माण और सांस्कृतिक अपरिवर्तनशीलताओं का निरूपण तथा “मानव स्वभाव” के व्यापकीकरण का निरूपण, एक सिद्धांत जिसकी 19वीं शताब्दी से अनेकों दार्शनिकों (हेगेल, मार्क्स, संरचनात्मकतावाद आदि) द्वारा आलोचना की जा रही है, मानव जाति विज्ञान के उद्देश्यों में से एक रहा है, जैसे कि कौटुम्बिक व्यभिचार का प्रतिबन्ध और सांस्कृतिक परिवर्तन.
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पत्नी को मित्र कैसे बनाएं? क्या नवभारत मंच से हो रहा है नफरत का व्यापार?-मेरा सफ़र फिर एक हुसैन चाहिए ज़ुल्म और नफरत मिटाने के लिए |धर्म पत्नियों न तुम जिद करो, न वो जिद करें|लविंग जिहाद और ऑनर किलिंगइस्लाम की नज़र से लिव-इन-रिलेशनशिप और मिस्यार विवाह लिव-इन-रिलेशनशिप या रखैल व्यवस्था का आधुनिकरणकहीं आपको जानवर ना बना दे यह आधार कार्ड?ज़बरदस्ती धर्मपरिवर्तन निंदनीय कौटुम्बिक व्यभिचार बढ़ने के कारण?