तरुण पत्तों में तीन पत्रक हो सकते हैं लेकिन पत्ते के किनारों पर कुछ क्रकच या दांत होते हैं, और पत्ते का सतह कुछ-कुछ झुर्रीदार होता है.
12.
विशेष-यदि रविवार को द्वादशी तिथि हो तो क्रकच और दग्धा नाम कुयोग तथा प्रतिपदा, षष्ठी व एकादशी होने पर मृत्युदा (पीड़ाकारक) योग होता है।
13.
शनिवार को षष्ठी होने पर क्रकच और नवमी होने पर दग्ध नामक कुयोग तथा पंचमी, दशमी पूर्णिमा होने पर मृत्युदा योग और चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी होने पर सिद्धिप्रद योग होता है।
14.
गुरुवार को अष्टमी, षष्ठी होने पर क्रमश: क्रकच और दग्ध कुयोग तथा चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी होने पर मृत्युदा योग, पंचमी, दशमी, पूर्णिमा होने पर सिद्धिप्रद योग होता है।
15.
शुक्रवार को सप्तमी होने पर क्रकच, अष्टमी होने पर दग्ध नाम कुयोग, द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी होने पर मृत्युदा योग और प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी होने पर सिद्धिप्रद योग होता है।
16.
तिथि और वार के अंको का योग यदि तेरह होता है तो क्रकच योग की उत्पत्ति होती है, जैसे रविवार को द्वादसी सोमवार को एकादशी मंगलवार को दसवीं बुधवार को नवमी गुरुवार को अष्टमी शुक्रवार को सप्तमी शनिवार को षष्ठी हो तो क्रकच योग की उत्पत्ति होती है, यह योग अशुभ माना जाता है।
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तिथि और वार के अंको का योग यदि तेरह होता है तो क्रकच योग की उत्पत्ति होती है, जैसे रविवार को द्वादसी सोमवार को एकादशी मंगलवार को दसवीं बुधवार को नवमी गुरुवार को अष्टमी शुक्रवार को सप्तमी शनिवार को षष्ठी हो तो क्रकच योग की उत्पत्ति होती है, यह योग अशुभ माना जाता है।