| 11. | और मात्र क्रियमाण कर्म ही हमारे वश में है।
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| 12. | के भड़कने पर वही शक्ति व्यक्त वा क्रियमाण कहलायेगी।
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| 13. | क्रियमाण कर्म दो तरह के होते हैं-शुभ और अशुभ।
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| 14. | क्रियमाण शक्ति के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
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| 15. | ब्रह्म की व्यक्त सत्ता सतत क्रियमाण है।
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| 16. | वर्तमान समय मेंकिए जाने वाला कर्मही क्रियमाण है ।
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| 17. | क्रियमाण कर्मों को चार भागों में बांटा गया है।
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| 18. | बर्गसों की स्वतन्त्र क्रियमाण ‘जीवन-शक्ति ' (
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| 19. | और आगे की उसकी गति क्रियमाण कही जाती है ।
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| 20. | बर्गसों की स्वतन्त्र क्रियमाण ' जीवन-शक्ति' (
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