शरीर के रासायनिक क्रियातंत्र आनुषंगिक तथा व्युत्पाद होते हैं, जिनके लिए किसी विशिष्ट सक्रियता की पूर्वापेक्षा आवश्यक होती है।
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सहज व्यवहार के क्रियातंत्र को बाह्य परिस्थितियों द्वारा प्रवृत्त किया जाता है, जो प्रतिवर्ती अनुक्रिया को पैदा करती है।
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इस प्रकार किरण क्रियामापी द्वारा जितनी ऊर्जा ली गई उन दोनों के अंतर के बराबर ऊर्जा, क्रियातंत्र द्वारा अवशोषित हुई।
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दूसरा चरण न्यूरानों में अप्रत्यावर्तनीय रासायनिक परिवर्तन लाता है और दीर्घकालिक (long-term) स्मृति का क्रियातंत्र माना जाता है।
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सहज व्यवहार के क्रियातंत्र को बाह्य परिस्थितियों द्वारा प्रवर्तित किया जाता है, जो प्रतिवर्ती अनुक्रिया को पैदा करती है।
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पहला चरण कुछ सैकंड या मिनट जारी रहता है और अल्पकालिक (short-term) स्मरण का शरीरक्रियात्मक क्रियातंत्र माना जाता है।
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तापीय पुंज की प्रयोग की भाँति इसमें भी अवशोषित आइंस्टाइन की माप क्रियातंत्र की अनुपस्थिति तथा उपस्थिति में की जाती है।
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तापीय पुंज की प्रयोग की भाँति इसमें भी अवशोषित आइंस्टाइन की माप क्रियातंत्र की अनुपस्थिति तथा उपस्थिति में की जाती है।
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इस सिद्धांत के समर्थकों के अनुसार न्यूरान मॉडलों का निर्माण तथा बाद में उनका सक्रियीकरण ही याद करने, रखने और पुनर्प्रस्तुत करने का क्रियातंत्र है।
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रासायनिक क्रियातंत्र आनुषंगिक (commensurate) तथा सक्रियता का व्युत्पाद (derivative) होते हैं, इसलिए मस्तिष्क में तैयारशुदा रासायनिक द्रव्य सीधे पहुंचाकर नहीं बनाये जा सकते।