उनके विरुद्ध जन मानस का इस तरह क्रुद्ध होना यही दर्शित करता है कि हम उनसे अपनी आशायें खो चुके हैं, पर फ़िर क्या हो? प्रश्न खड़ा है.
12.
77 कोई भी व्यक्ति क्रुद्ध हो सकता है, लेकिन सही समय पर, सही मात्रा में, सही स्थान पर, सही उद्देश के लिये सही ढंग से क्रुद्ध होना सबके सामर्थ्य की बात नहीं है।
13.
मणिका में प्रखर प्रतिभा थी, किन्तु उसको संयत रखने की दृढ़ता न थी ; पर साथ ही अपने में दृढ़ता न होने का करुण और उत्ताप-भरा ज्ञान भी था, जिसके कारण उस पर क्रुद्ध होना सहल नहीं था।
14.
आप वस्त्र त्याग मत करना क्यूँ की आप भगौड़े नहीं हो...आप उनमें से नहीं हो जो अपनी जिम्मेदारियां दूसरों पर डाल कर, समाज से कट कर अपनी दुनिया में धूनी रमाये रहते हैं...ऐसे लोग महा निकम्मे और जाहिल हैं और समाज का कोई भला नहीं करते...बात बात में क्रुद्ध होना और अपने आप को विशेष कहलाना दिखाना छोटी छोटी बातों पर मरना मारना जैसे बातें भला इन्हें मोक्ष कैसे दिलवा सकती हैं...ये कहीं स्नान करें या न करें ऐसे ही रहेंगे...अंग्रेजी में कहूँ तो यूज लैस... नीरज