लडाई के समय चाँद निकल आया था, ऐसा चाँद, जिसके प्रकाश से संस्कृत-कवियों का दिया हुआ क्षयी नाम सार्थक होता है।
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मध्य पूर्व से जुड़ी एक बर्बर क्षयी प्रवृत्ति को स्थापित करने के लिये पूरे संसार में चल रहे राजनैतिक-मज़हबी आन्दोलन की व्यापकता को समझिये।
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लड़ाई के समय चांद निकल आया था, ऐसा चांद कि जिसके प्रकाश से संस्कृत-कवियों का दिया हुआ ' क्षयी ' नाम सार्थक होता है।
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परिणामत: संहिता सृजन की धारा क्षयी होती है और ईसा से लगभग 1900 वर्ष पहले तक सरस्वती के साथ ही अंतत: सूख जाती है।
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है, हर्ष-विषाद गले के रोगों की अधिकता है (गलगंड, कण्ठमाला या घेघा आदि रोग हैं), पराए सुख को देखकर जो जलन होती है, वही क्षयी है।
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इसके फल को शीतल, शुक्रजनक, धातु और बलबंधक, वात, पित्त, तृपा, दाह, श्वास, क्षयी आदि को दूर करनेवाला माना है ।
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जैसे महाकाल के कंठ से संलग्न षोडशी पार्वती और शीश पर फुफकारता हुआ कालभुजंगदोनों साथ-साथ रहते हैं, वैसे ही अपने को क्षयी काम और भय से मुक्त रख पाना हीमृत्यु को जीतना है.
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लेकिन कुरु, पांचाल, नागादि के संघर्ष की परिणति अतिदारुण महाविनाश में हुई जिसकी स्मृति को हम क्षयी कलियुग के प्रारम्भ से जोड़े आज भी सिहरते हैं-महाभारत! सब कुछ छिन्न भिन्न हो गया।
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ममता दाद है, ईर्षा (डाह) खुजली है, हर्ष-विषाद गले के रोगों की अधिकता है (गलगंड, कण्ठमाला या घेघा आदि रोग हैं), पराए सुख को देखकर जो जलन होती है, वही क्षयी है।
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यदि भाषा में कथा की बयानी के लिए सहज चापल्य तथा जीवन-धर्मी गंध है तो चांदनी रात के वर्णन में एक गांभीर्य जहां चंद्रमा को क्षयी तथा हवा को बाणभट्ट की कादम्बरी में आये दन्तवीणोपदेशाचार्य की संज्ञा से परिचित कराया गया है।