भारत के दुर्भाग्य से भारत में दो प्रकार की खबर पालिका है जो समानांतर जी रही हैं।
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भारत के दुर्भाग्य से भारत में दो प्रकार की खबर पालिका है जो समानांतर जी रही हैं।
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उनका यह शेर खबर पालिका में ब्रम्ह बाक्य बन गया कि ” खींचों न कमाने व न तलवार निकालो।
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डॉ. वैदिक ने आगे कहा कि खबर पालिका ही ऐसा तंत्र है कि जिसके ऊपर सबकी नजर रहती है।
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जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो॥ ” इन सारी बुलंदियों के बीच खबर पालिका को एक मिशन बनकर उभरना चाहिए।
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सबकी खबर लेने वाली प्रेस पालिका / खबर पालिका कहीं न कहीं अपने पवित्र उद्देश्य से भटकती ही नजर आ रही है।
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बहुत पहले प्रयाग के एक शायर अकबर इलाहाबादी ने खबर पालिका की ताकत को राज सत्ता की तोपों से भी ज्यादा शक्तिशाली माना था।
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बहुत पहले प्रयाग के एक शायर अकबर इलाहाबादी ने खबर पालिका की ताकत को राज सत्ता की तोपों से भी ज्यादा शक्तिशाली माना था।
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राज्यपाल ने आगे कहा कि, खबर पालिका एक पेड न्यूज है, पत्रकार बेचारा क्या करे? खबर लाता है, मगर मालिक खा जाते हैं।
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सभी की तरह प्रजातंत्र के चारों स्तंभों विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और खबर पालिका को यही स्मरण दिलाया जा सकता है कि सभी को एक ही संविधान ने अधिकार व दायित्व सौंपे हैं।