अल्लाह तआला फ़रमाता है कि जब क़ुरआन पढ़ा जाए तो उसे सुनो और खा़मोश रहो.
12.
जीते हैं लोग पर जीते नहीं हाँ चलता है जिस्म और मन भी कभी खा़मोश दिल, खा़मोश रहता नहीं।
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जीते हैं लोग पर जीते नहीं हाँ चलता है जिस्म और मन भी कभी खा़मोश दिल, खा़मोश रहता नहीं।
14.
गीत है कश्ती का खा़मोश सफ़र है, शाम भी है, तनहाई भी, दूर किनारे पर बजती है, लहरों की शहनाई भी...
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गीत है कश्ती का खा़मोश सफ़र है, शाम भी है, तनहाई भी, दूर किनारे पर बजती है, लहरों की शहनाई भी...
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किशोर दा के साथ-कश्ती का खा़मोश सफ़र-अभी परसों ही हमारे लाडले, मस्ताने,ऒल राउंडर कलाकार, गायक किशोर दा की पुण्य तिथी थी.
17.
कितने लोगों के खा़मोश दुखों बेक़रार प्यार में बोलते थे मेहदी हसन कैसी दिलशिकन रातें हम काट लेते थे इस आवाज़ के पहलू में मुह छुपाये हु ए.
18.
खा़मोश पलकें थी, दर्द की तन्हाईयों में,कोई ख्वाब टूटा था शायद,इन आईनों में,ख्वाब में आके जरा तुम,तन्हाईयों को सहलाना,इतना मत रुलाओ कि,मुश्किल हो हंस पाना।..............प्रीती बङथ्वाल “तारिका”(फोटो-सभार गुगल)
19.
बीच की हवा तब भी खा़मोश थी शायद तब मेरे लिए यह अनहोनी बात थी मेरे आंगन के दरख् तों के पत् ते सूखकर झडने लगे थे हवा सांसों में कराहती
20.
मैंने उससे कहा मुझे तुमसे कुछ कहना है उसने मेरी नज़रों को पढा़ और खिलखिलाकर हँस पड़ी झडे़ हुए फूलों की महक से मेरी जीभ बिंध गई एक और शाम खा़मोश गुजर गई