अवसादग्रस्त को हीन समझना, उनका मज़ाक उड़ाना, उनके प्रति दुर्व्यवहार रखना, बात-बात में खीजना, डांटना, अन्य लोगों से उनकी तुलना करना आदि से उनकी समस्या और जटिल हो जाती है जबकि अवसाद के क्षणों में तो उन्हें ज़रूरत होती है प्यार भरे सकारात्मक व्यवहार की।
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जैसे सफ़र कितना भी छोटा हो, तैयारियाँ हमेशा बड़ी होती हैं, हर बार रेल पकड़ने से पहले आपको चीजों के होने और न होने पर देर तक खीजना पड़ता है, टूथब्रश सबसे ज़्यादा बार चेक किया जाता है बैग में और सबसे ज़्यादा बार भूला जाता है