इस मुद्दे पर खुलकर बात करना तथा इस कमी को सार्वजनिक मंचों पर उठाना महिलाओं तथा महिला प्रतिनिधियों के लिए भी संकोच का विषय रहा है, लेकिन हाल के वर्षो में यह चुप्पी टूटी है।
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इस मुद्दे पर खुलकर बात करना तथा इस कमी को सार्वजनिक मंचों पर उठाना महिलाओं तथा महिला प्रतिनिधियों के लिए भी संकोच का विषय रहा है, लेकिन हाल के वर्षो में यह चुप्पी टूटी है।
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ऐसे में जिस लड़की से आप बाहर खुलकर बात करना पसंद करते थे उससे अब घर वालों से सामने तो बहुर दूर की बात जल्दी किसी दोस्त के सामने भी बात करने में शर्माते हैं.
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इस मुद्दे पर खुलकर बात करना तथा इस कमी को सार्वजनिक मंचों पर उठाना महिलाओं तथा महिला प्रतिनिधियों के लिए भी संकोच का विषय रहा है, लेकिन हाल के वर्षो में यह चुप्पी टूटी है।
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बड़ों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति, छोटों के प्रति प्यार-दुलार की मधुरता, शील-संकोच, कब खुलकर बात करना, कब चुप रहना, कैसे-क्यों कहना, मनोरंजन आदि के समय भी कैसे मर्यादा बनाये रखना, ये सब संयुक्त परिवार में दैनन्दिन जीवन में ही स्वभाव का अंग बनते जाते हैं।
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ऐसे में नए निर्देशक अजय बहल की हिम्मत की दाद देनी होगी जिन्होंने इतने संवेदनशील विषय पर फिल्म बनाई जिसपर इंडिया में खुलकर बात करना भी मुनासिब न समझा जाता होगा वैसे मेट्रो सिटीज में अब पुरुष वेश्यावृति का कल्चर धीरे-धीरे आम होने लगा है मगर छोटे शहरों में जहां सेक्स पर भी खुलकर राय व्यक्त नहीं की जा सकती वहां इस विषय पर बात करना तो आप भूल ही जाइए।
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दुष् यंत कुमार का एक शेर बहुत कुछ कहता है-जियें तो यार की गली में गुलमोहर के तले मरें मो यार की गली में गुलमोहर के लिए पारिवारिक संबंधों में उपजे तनाव को दूर करने का सबसे बढिया तरीका है घर-परिवार में प्रत् येक मुद्दे पर खुलकर बात करना और एक दूसरे के प्रति मन में किसी भी प्रकार की शंका या संदेह न रखते हुए मिलबैठ कर मामले को सुलझाने का प्रयास करना।