तेजेन्द्र जी के व्यक्तित्व में उनकी स्नेहिल प्रकृति, जिन्दादिली व खुशमिज़ाजी और उनके कृतित्व में कठोर परिश्रम, भाषायी प्रेम व साहित्य-साधना निश्चित रूप से हमारे लिए प्ररेणा स्त्रोत है.
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2002 बैच का यह आईपीएस अधिकारी जोकि दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर चुका है, अपने स्वभाव, खुशमिज़ाजी तथा अच्छे व्यवहार के लिए स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय था।
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इस किताब को पढ़ने के बाद आप ना केवल लद्दाख के दर्शनीय स्थलों के बारे में जानेंगे पर साथ ही वहाँ के लोगों की जीवटता, खुशमिज़ाजी और सादा जीवन उच्च विचार वाली सोच को करीब से महसूस कर पाएँगे।