अब कोई श को ल बोले और सीधी सपाट गली को गैयेलो कह दे तो मुझ जैसे परम्परावादी का खून खौलना स्वाभाविक है.....:) मगर आपका खून क्यों खौल रहा है:)? आपकी यह आदत है कि आप अपनी गलती नहीं मानते...
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और फिर प्रतिकार का सबसे पहला मार्ग जो उसे दीखता है वह उग्रता और हिंसा का ही हुआ करता है...आवेग व्यक्ति में उस सीमा तक धैर्य का स्थान नहीं छोड़ती, कि व्यक्ति सत्याग्रह एवं अहिंसक मार्ग अपना सके और उसपर अडिग रह सके.रक्षक को ही भक्षक बने देख स्वाभाविक ही किसी भी संवेदनशील का खून खौलना और आवेश में उसके द्वारा अस्त्र उठा लेना,एक सामान्य बात है...