देवी माहात्म्य में महालक्ष्मी रूप में देवी को चतुर्भुजी या दशभुजी बताया गया है और उनके करों में त्रिशूल, खेटक, खड्ग, शक्ति, शंख, चक्र्, धनुष तथा एक हाथ में वरद मुद्रा व्यक्त करने का उल्लेख मिलता है।
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ये शक्ति, त्रिशूल हल, मुसल, खेटक, तोमर, शंख, चक्र, गदा, परशु, पाश, कुंत, एवं उत्तम शांर्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथों में धारण किए रहती हैं, जिसका उद्देश्य दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों को अभयदान देते हुए उनकी रक्षा कर संसार में शांति व्याप्त करना और मन वांच्छित वर, मुराद पुरी करना और अन्न धन के भण्डार भरती है।