काश् मीर के खेतों में काम करने वाला किसान हो या बोझ ढोने वाला मजदूर, बेलबूटे काढ़ने वाला कारीगर हो या नाव खेने वाला मांझी, सभी में लल् लेश् वरी का कोई न कोई बाख स् वर में गाने की चाह मौजूद है।
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जीवन को संवारने के लिए संस्कृत के दुर्लभ लघु-सूक्त मित्रों मैं आज आप लोगों के सामने जो रखने जा रहा हुं वह जीवन के मर्म स्पर्शी हर पहलुओं पर एक नांव को खेने वाला पतवार का काम करेगा अतः आप सभी से हमारा व्क्यक्तिगत तौर पर आपसे अनुरोध है कि इन लघु-सूक्तों में से कम से कम किन्हीं पांच सूक्त को अपने जीवन में जरूर उतारें ताकि समाज के हित में किये गये यह प्रयास सफल हो सके.