एक महाशय को गम हो गया बच्चों जैसे मचलते हुए हिंदी ब्लागिंग से कूच कर गए (वैसे संभावनाओं के द्वार खोल कर गए है जैसे किसी कोटेवाली का अड्डा हो की कभी भी आओ और मन करे तो फूट लो).
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मखमूर सय्य्दी कितनी दीवारे उठी है एक घर के दरम्यां कितनी दीवारे उठी है एक घर के दरम्यां घर कही गम हो गया है दिवार-ओ-दर के दरम्यां वार वो करते रहेगे ज़ख्म हम सहते रहेगे है यही रिश्ता पुराना संग ओ सर के दरम्यां
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AMपिछले काफी दिनों से जाने क्यों नही आ पाई............पुराना आईडी ब्लोक हो जाने के कारण सब गम हो गया था.आपने भी बुलाने की कोशिश नही की.कम से कम आपका लिंक तो वापस मिल जाता इसी बहाने.ढोल मारू के नाम बचपन से सुनती आ रही थी.पूरी कथा पहली बार पढ़ी.
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दौड़ने के बाद लैब वापिस आये, झोला उठाया और व्यायामशाला की तरफ जाने लगे, उसमे बटुआ रखा और फोन ये सोचकर मेज की दराज में डाल दिया कि जिम मैं कहीं गम हो गया तो...(नया नया महंगा फोन लिया है न:))| फिर रास्ते में चलते हुए सोचा कि आज जिम से ही सीधे घर चले जायेंगे और लैब वापिस नहीं आयेंगे, हमारे मन ने इसका पूर्ण समर्थन किया...
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दिल में हो या न हो जज्बात दिखाने कहीं भी पहुंच जाओ और खूब प्रचार पाओ गम हो गया खुशी का मौका इस पर मत डालो नजर चेहरे पर आती नहीं वैसी लकीर जैसे है सामने मंजर पर फिर भी वहां दिख जाओ अगर कहीं आ गये जमाने की नजर में तो चमक जाओगे हर जगह नाम पाओगे सभी का यही है दस्तूर मौका मिलने पर उसका फायदा उठाओ.................................