जी नहीं, एनएसएफडीसी केवल आर्थिकं दृष्टि से गरीब अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को ऋण उपलब्ध कंराता है अर्थात् अनुसूचित जाति के व्यक्ति जिनकी वर्तमान में वार्षिकं पारिवारिकं आय गरीबी सीमा रेखा के दुगने आय सीमा (डीपीएल)
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दूसरा विकल्प यह भी हो सकता है कि जिन सांसदों की आय गरीबी सीमा रेखा के अन्दर हो वे भारत सरकार को बी. पी. एल. के समान आवेदन दें और सरकार उन्हे वेतन या मानदेय दे।
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गरीबी सीमा रेखा के नये-नये मापदण्डों के निर्धारण और गरीबी के आंकड़े कम दर्शाने की कवायद ने गरीबों की थाली को मजाक का साधन बनाया दिया है इतने पर यू. पी. ए. के घटक दलों के द्वारा भारत में सस्ते में पेट भर कर भोजन देने संर्वाध बयान ने राजनैतिक हल्कों में सरगर्मी बढ़ा दी है नतीजतन कांग्रेसी नेताओं सहित यू. पी. ए. के विरोध में भाजपा सडक़ों पर उतर आई है...