डॉ विलि, वैंडर व फिशर के अनुसार, चरमतृप्ति या चरमोत्कर्ष प्राप्ति काल में स्त्री की योनि द्वार, भगांकुर, गुदापेशी व गर्भाशय मुख के पास की पेशियाँ तालबद्ध रूप में फैलने व सिकुड़ने लगती है।
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डॉ विलि, वैंडर व फिशर के अनुसार, चरमतृप्ति या आर्गेज्म प्राप्ति काल में स्त्री की योनि द्वार, भगांकुर, गुदापेशी व गर्भाशय मुख के पास की पेशियां तालबद्ध रूप में फैलने व सिकुड़ने लगती है।
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योनि की भीतरी झिल्ली, गर्भाशय मुख या गर्भाशय से निकलने वाले मांस से धोवन की तरह, कभी योनि में खुजली और जलन पैदा करने वाला, दुर्गन्धयुक्त सफेद पानी के बहते रहने से अक्सर रोगी निर्बल, उदास और परेशान रहती हैं और शर्म के मारे रोग के बारे में किसी को कुछ बताना नहीं चाहती।