यहाँ यह तथ्य भली-भाँति स्मरण रखा जाना चाहिए कि शरीर विज्ञान के अंतर्गत वर्णित प्लेक्सस, नाड़ी गुच्छक और चक्र एक नहीं है यद्यपि उनके साथ पारस्परिक तारतम्य जोड़ा जा सकता है ।
12.
शरीर की चीर फाड़ की जाये तो चक्र तो नहीं पर निर्धारित स्थानों के आस-पास छोटे-छोटे नाड़ी गुच्छक दृष्टिगोचर होते हैं, जिनकी एनाटामीकल संगति का वर्णन पूर्व में किया जा चुका है ।
13.
मनुष्य के सूक्ष्म शरीर में यह प्रसुप्त ऊर्जा छह तालों की तिजोरी के रूप में बन्द है जो षटचक्र के रूप में भँवर नाड़ी गुच्छक अथवा विद्युतप्रवाह के रूप में सुषुम्ना व उसके चारों ओर स्थित है ।
14.
इनके लिये कक्ष्य मान की गणना कर सकते हैं और आसानी से A को अलिक, B को बिम्बोक, B को वीचक, D को स्तंभ, E २ को गुच्छक, b ४ को कुडुप, F को गुलिका, G को मण्डल तथा h, Hg को कंचुक के रूप में पहचान हो सकती है क्योंकि गणनाकृत मान संस्कृत पाठ में दिये सांकेतों के संगत कक्ष्य मानों के काफी निकट हैं और इन्हें तालिका-१ (table-१) में दो से छठें स्तंभ में दिखाया गया है।