पर दूसरे ही पल उसे लगा कि, जल्दी-जल्दी काम करने से गुलमेहँदी की टहनियों का ध्यान नहीं रहता।
12.
गुलमेहँदी के छोटे-छोटे फूल रेल की पटरी और गिट्टी के ढेर के इर्द गिर्द फैली झाड़ियों पर ठुमक रहे थे।
13.
सो उसने सोचा है कि अगर वे आ गए तो वह गुलमेहँदी की झाड़ी में सुंदर के साथ छुप जाएगी।
14.
जब मुनिस्पलिटी की कचरा फेंकनेवाली गाड़ी आती है, तब वह बहुत सी गुलमेहँदी की झाड़ियों को कुचल देती है।
15.
जब वह अपने काम में मशगूल रहती है तब गुलमेहँदी की सूखी डाल गर्म हवा के झोंको के साथ उसके शरीर से रगड़ जाती है और ऐसा एक और निशान बना देती है।
16.
तब ये औरत देगी सीढ़ियाँ, तुम्हें पेड़ की वह सुखद टहनी देगी तुम्हें नदी का ठंडा पानी तुम्हारे ठंडे हाथों को बोरसी की गर्माहट देगी तुम्हें हरेपन की छाया और यथार्थ के पैरों में चुभे कांटे पर खिला देगी गुलमेहँदी..