हस्तिनापुर तक आनेवाले रास्ते में कालीन बिछा दो, गुलाब-जल का छिड़काव करा दो, स्थान-स्थान पर स्वागत-द्वार बनवा दो और अपने सचिवों को हर स्वागत द्वार पर फूल-मालाओं के साथ शल्य के स्वागत में तैनात कर दो।
12.
जब घण्टाघर ने आधी रात का गजर बजाया तो उसने एक घंटी को छुआ और परिचरों ने अन्दर आकर उसके सर पर गुलाब-जल उँडेलते हुए, तथा उसके सिरहाने पर फूल छिड़कते हुए, उसके लम्बे झूलते लबादे को विधिवत रूप से खुलवा लिया ।
13.
जान पड़ा, जैसे बहुतेरी कलियों का गुच्छा पत्तों से ढंका रहने पर भी, पत्ते हटते ही खिल उठा हो मानो गुलाब-जल की शीशी एकाएक मुंह खुल जाने से महक गयी हो-सुलगतीे हुई आग में जैसे किसी ने धूप-धूना छोड़ दिया हो और कमरे का वातावरण ही बदल जाए।
14.
नारी भी होती है एक गुलाब सी अलग अलग रंगों में आभा बिखेरती है सुगंध बांटती है प्रकृति महकाती है गुलाब-जल सी ठंडक देती है गुलाब का सौन्दर्य सभी को लुभाता है लाल, पीले, सफ़ेद, रंग एक नयी अनुभूति की भाषा गढ़ते हैं प्रकृति की धारा में बुलबुले सी उठती गिरती रंगीन गुलाब की पतियों का भी एक अलग ही रस होता है सच गुलाब मन को कितना मोहता है?