जन्म राशि से बारहवें घर में गुरू का गोचर करना कई विषयों में परेशानी दे सकता है अत:
12.
सातवें घर में गुरु और शुक्र का अपने घर में गोचर करना कैरियर के मामले में शुभ फलदायी रहेगा.
13.
पद लग्न के स्वामी की दशा अन्तरदशा या दशमेश / एकादशेस का पद लग्न पर गोचर करना उन्नति के संयोग बनाता है.
14.
गुरू का गोचर तृतीय से एवं शनि, सूर्य, बुध व शुक्र का अष्टम से गोचर करना आपके लिए अनुकूल नहीं है.
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पद लग्न के स्वामी की दशा अन्तरदशा या दशमेश / एकादशेस का पद लग्न पर गोचर करना उन्नति के संयोग बनाता है.
16.
' सूर्य' का छठे भाव में गोचर करना यह संकेत करता है कि आप आर्थिक रूप से या व्यावसायिक रुप से अधिक लाभ प्राप्त नहीं कर सकेंगे.
17.
किसी भी पापग्रह का चतुर्थ से गोचर करना एवं बली होना हानिकारक होता है, जिसकी वजह से यह घटना उत्तराखण्ड के लिए अमिट छाप छोड़ गयी।
18.
इस अवधि के दौरान शुक्र का लाभ भाव में गोचर करना आपके लिए अच्छे लाभ के संकेत देता है, जीवन में खुशी और रोमांस का आगमन हो सकता है.
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सुखेश शुक्र जो प्रजा का कारक है, द्वादश में गोचर करने से जन की हानि हुयी अर्थात चार ग्रहों का द्वादश भावों से गोचर करना उत्तराखण्ड के लिये अत्यधिक हानिकारक रहा।
20.
तुला राशि का भाग्य का मालिक बुध है और बुध का इस समय मे वृश्चिक राशि मे राहु के साथ गोचर करना साल भर जातको के लिये बुद्धि को भ्रम मे ले जाना वाला माना जायेगा।