इसके रचनाकार का व्यक्तिनाम विष्णुगुप्त, गोत्रनाम कौटिल्य (कुटिल से व्युत्पत्र) और स्थानीय नाम चाणक्य (पिता का नाम चणक होने से) था।
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गोत्र के सन्दर्भ में आपकी समझ के बारे में अभी सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा अगर आप अपना गोत्रनाम वाला सिद्धांत उस किताब से उधृत कर रहे हैं तो एक बार मैं फिर से उस बेचारे संपादक और उसके लेखक मंडलों की मूर्खता पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा.