अधिकाँश गैलेक्सियों का केंद्र तारों से भरा हुआ गोलाकार भाग होता है, जिसे नाभिक कहा जाता है और यह नाभिक अपने चारों ओर एक तलीय गोलाकार डिस्क से जुडा होता है | खगोलविज्ञानी गैलेक्सियों को उनके आकार के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित करतें है।
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जब भगवान त्वष्टा ने अपनी पुत्री के रूप में शनि की माता छाया को बहुत समझाया तब छाया ने भगवान सूर्यदेव को यह आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी व्यक्ति सूर्यदेव के सिर के भाग अर्थात गोलाकार भाग की पूजा करेगा उसका कुष्ठ रोग जड़ से समाप्त होम जाएगा.
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जागर के लिये धूणीजागर के लिये धूणी बनाना भी आवश्यक है, इसे बनाने के लिये लोग नहा-धोकर, पंडित जी के अगुवई में शुद्ध होकर एक शुद्ध स्थान का चयन करते हैं तथा वहां पर गौ-दान किया जाता है फिर वहां पर गोलाकार भाग में थोड़ी सी खुदाई की जाती है और वहां पर लकड़ियां रखी जाती हैं।
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अधिकाँश आकाशगंगाओं का केंद्र तारों से भरा हुआ गोलाकार भाग होता है, जिसे नाभिक कहा जाता है और यह नाभिक अपने चारों ओर एक तलीय गोलाकार डिस्क से जुडा होता है | खगोलविज्ञानी आकाशगंगाओं को उनके आकार के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित करतें है | यह कोई नहीं जानता कि क्यों आकाशगंगाएं एक निश्चित रूप धारण करती है | शायद यह आकाशगंगाओं के घूर्णन के वेग और उसमे स्थित तारों के बनने कि गति पर निर्भर करता है।