उस दिन उन्होंने पार्टी का इंदौर में बनना और रानीपुरा में 1946 में मजदूरों के जुलूस पर गोली चलना, मौशीबाई का मजदूरों की लड़ाई को समर्थन देना, भगवानभाई बागी का लाल झण्डे का गाना और भी तमाम 60-65 बरस पुरानी बातें इतनी साफ याद्दाश्त के साथ बतायीं कि सन ही नहीं तारीखें भी उन्हें याद थीं।
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उस दिन उन्होंने पार्टी का इंदौर में बनना और रानीपुरा में 1946 में मजदूरों के जुलूस पर गोली चलना, मौशीबाई का मजदूरों की लड़ाई को समर्थन देना, भगवानभाई बागी का लाल झण्डे का गाना और भी तमाम 60-65 बरस पुरानी बातें इतनी साफ याददाश्त के साथ बतायीं कि सन ही नहीं तारीखें भी उन्हें याद थीं।
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उस दिन उन्होंने पार्टी का इंदौर में बनना और रानीपुरा में 1946 में मजदूरों के जुलूस पर गोली चलना, मौशीबाई का मजदूरों की लड़ाई को समर्थन देना, भगवानभाई बागी का लाल झण्डे का गाना और भी तमाम 60-65 बरस पुरानी बातें इतनी साफ याददाश्त के साथ बतायीं कि सन ही नहीं तारीखें भी उन्हें याद थीं।
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मेरा इश्क खुद गरज हे मेरा इश्क अब खुद गरज हो चला हे तुझे चाहते चाहते तुझे पालने की अब जिद हो जाने से तेरी तरह मेरा इश्क भी देख बेवफा हो चला हे । बैं ड....... बाजा........ बंदूक....... किसी शादी या सांस्कृतिक समारोह में गोली चलना और किसी की जान जाना, ऐसी खबरें है जो आये दिन अखबारों की सुर्खियां बनती है।
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फिर भी अगर यहां “ हमारे यहां ” है तो यह किसी खास जाति-वर्ग का संवाद कैसे हो गया? गोलियां चलने की बात जरूर दलित तबकों से मेल नहीं खाती है, लेकिन अगर गालियां किन्हीं सामाजिक तबकों (स्त्रियों और निचली जातियों) का प्रतीक रूप में अपमान करती हैं, उनके खिलाफ एक सामाजिक मनोविज्ञान रचती हैं, तो गोली चलना विरोध करने का रूपक क्यों नहीं हो सकता?
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परिवादी साक्षी ने जिरह के पृश्ठ-6-7 पर कहा " घटना मे पहले अभियुक्त ने डंडे से मारा था उसके बाद ही गोली चलने की आवाज हुई एवं जिरह के पृश्ठ-7 पर कहा" पुलिस को जो मैने बयान दिया था उसमे घटना क्रम पहले डंडे से मारना फिर गोली चलना बताया था परन्तु जिरह के पृश्ठ-8 पर परिवादी साक्षी ने अपने उक्त साक्ष्य के विरूद्ध साक्ष्य देते हुये कहा "घटना का क्रम जिसमे प्रथम सूचना रिपोर्ट मे पहले गोली चलना फिर डंडा मारना बताया है वह सही है।
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परिवादी साक्षी ने जिरह के पृश्ठ-6-7 पर कहा " घटना मे पहले अभियुक्त ने डंडे से मारा था उसके बाद ही गोली चलने की आवाज हुई एवं जिरह के पृश्ठ-7 पर कहा" पुलिस को जो मैने बयान दिया था उसमे घटना क्रम पहले डंडे से मारना फिर गोली चलना बताया था परन्तु जिरह के पृश्ठ-8 पर परिवादी साक्षी ने अपने उक्त साक्ष्य के विरूद्ध साक्ष्य देते हुये कहा "घटना का क्रम जिसमे प्रथम सूचना रिपोर्ट मे पहले गोली चलना फिर डंडा मारना बताया है वह सही है।
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वस्तुत: एन काउंटर होता है, क्योंकि बिजनेस मैन की गाडी का सायलेंसर खराब था, फ़ट से हुई जोरदार आवाज को पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी बिजनेस मैन की गाडी से गोली चलना समझती है, क्षेत्र नक्सल प्रभावित है, दारोगा जी भी टुंच हैं, पिछा करते हैं बिजनेस मैन की गाडी, वह नही रुकती, पुलिस गोली चलाती है, एक आदमी को लग जाती है, नजदीक जाकर देखती है तो पता चलता है यह तो निर्दोष है, अब अपनी जान बचाने के लिये बाकी एक को भी मार देती है।