मैं आलू हूँ भई, मैं आलू हूँ सीधा-साधा गोल-मटोल स्वाद में सबसे हूँ आला अधिक ना होता मेरा मोल.
12.
चौडा सा माथा, बडी-बडी आंखें, तोते के टोंट जैसी नाक, मोती जैसे दांत और गोल-मटोल चेहरा।
13.
कितनी तेजी से यह करने के लिए नेट पर एक सींग का बना हुआ, परिपक्व, गोल-मटोल और गर्म औरत को खोजने के लिए!
14.
मुन्नालाल को लगा जैसे लाल फ़ीते में जकड़ा गोल-मटोल-सा सोने का एक तमगा डॉ. सेन के साथ-साथ उसके सीने पर भी जड़ दिया गया है।
15.
उस महारानी ने एक काम और भी किया कि ताश के पत्तों की आकृति रोटियों की तरह गोल-मटोल बनाई और कहते हैं कि यही आकृति काफी समय तक प्रचलित भी रही.
16.
उपासक लोगोँने कहा कि यह भी एक वैसी उपासना है कैसी? कि जैसी देखनेमेँ गोल-मटोल शालग्राम-शिला या लम्बी-लम्बी-सी नर्मदा शिला-वह जड़ है, वह पाषाण है, वह अल्पदेश.
17.
जिसे हिंदी में तुम सबके पास लाने की कोशिश की है तुम्हारी नीलम आंटी ने) श्रीमान आलू जी मैं आलू हूँ भई, मैं आलू हूँ सीधा-साधा गोल-मटोल स्वाद में सबसे हूँ आला अधिक ना होता मेरा मोल.
18.
गोल-मटोल पर लाल, से लोगों को रोजगार के अवसर नहीं है, क्योंकि यह कोई ग्राहक है क्योंकि उसकी तरह वहाँ बहुत सारे हैं, और वह अपने देश है, क्योंकि यह, कोई ग्राहक है, क्योंकि खाली एक कैफे का मालिक होना, मुस्कान के लिए.
19.
चिकना करना चारो और मोटा अवैध रूप से रहना पूर्णता प्रदान करना करना बड़ी और मोटी रेखाओं वाला बटोरना बारी गोलमटोल दमदार गोल बनाना कम ऊँचा मेज पर खेला जाने वाला चौतरफा थुलथुल बड़ी और मोटी रेखाओं वाला ठिंगना भारी वक्ष-स्थल वाली गोल-मटोल विलासी साफ-
20.
अब चुंकि हम हमेशा से गोल-मटोल है तो हमारे बाबा जिन्हे हम प्यार से बाबूजी कहते थे वो हमे टुनटुन कह कर बुलाते थे तो हमारे पापा-ममी हमे मंतु कहते थे तो हमारे भईया बकतुनिया और जिज्जी लोग मुन्नी, गुड़िया और सबसे मजेदार नाम तो परसादी लाल वो इसलिये क्यूंकि जब भी हमारी मम्मी पूजा करती थी तो हम सबको प्रसाद बाँटा करते थे और ऐसा नही कि अब सबने हमे इन नामों से पुकारना बंद कर दिया है अभी भी हमे इन नामों से पुकारा जाता है।