इन्होंने कविता के अलावा उपन्यास, नाटक, आलोचना, हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास तथा बालोपयोगी पुस्तकें लिखीं और ' कविता कौमुदी (आठ भाग में), हिंदी, उर्दू, संस्कृत, बंगला की कविताएं तथा ' ग्राम्य गीत (कविता संकलन) संपादित और प्रकाशित किए।
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भैया की कलम से महुवा घटवारन से ठीक पहले बचपन से ' बाढ़' शब्द सुनते ही विगलित होने और बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों में जाकर काम करने की अदम्य प्रवृति के पीछे-'सावन-भादों' नामक एक करुण ग्राम्य गीत है, जिसे मेरी बड़ी बहिन अपनी सहेलियों के साथ सावन-भादों के महीने में गाया करती थी ।