मैदानी शहरों की जमीन व इससे लगी नाप-बेनाप, नदी-खालों, ग्राम-समाज आदि की भूमि को बडे़ पैमाने पर खुर्द-बुर्द कर दिया गया।
12.
दूसरे अध्याय में ग्राम-समाज, ग्राम पंचायतों का गठन, अधिकार एवं कर्तव्य तथा आवश्यक कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा दी गई है।
13.
जात-पात और क्रमागत अस्पृष्यता के जैसे भेद आज हमारे समाज में पाये जाते हैं, वैसे इस ग्राम-समाज में बिलकुल न रहेंगे.
14.
असंख्य भेदों, पूर्वाग्रहों, अन्धविश्वासों, जात-पांत के झगड़ों और हठधर्मियों से जर्जर ग्राम-समाज में भी ऐसा न्याय-धर्म कल्पनातीत लगता है ।
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मैदानी शहरों की जमीन व इससे लगी नाप-बेनाप, नदी-खालों, ग्राम-समाज आदि की भूमि को बडे़ पैमाने पर खुर्द-बुर्द कर दिया गया।
16.
लोगों के व्यावहारिक जीवन और ग्राम-समाज की व्यावहारिक परिस्थितियों को देख-समझकर उनको सुधारने का बीड़ा देसज अथवा खाप पंचायतों ने ही उठाया थ।
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जात-पांत और क्रमागत अस् पृश् यता के जैसे भेद आज हमारे समाज में पाये जाते हैं, वैसे इस ग्राम-समाज में बिल् कुल नहीं रहेंगे।
18.
लेकिन यदि रेणु के इस आर्काइव को हम ग्राम-समाज की सूचनाओं के लिये देखेंगे तो वह रेणु और साहित्य दोनो ही के लिये अन्याय होगा.
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लेकिन यदि रेणु के इस आर्काइव को हम ग्राम-समाज की सूचनाओं के लिये देखेंगे तो वह रेणु और साहित्य दोनो ही के लिये अन्याय होगा.
20.
डायरी एक भयानक तथ्य को खोलती है कि भारतीय सेना में सूबेदार मेजर आदित्य बेरा एक दशक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ल्ोकर ग्राम-समाज के बदलाव अभियान में लगे थ्ो।