मंदिर मे आरती करना, घंटा बजाना, मंतर करना, जाप करना, पोथी पढ़ना, हवन करना ये भक्त का भगवान के प्रति अपनी भावना प्रकट करने का साधन मात्र है लेकिन अगर इस कर्म से प्रेम भाव विरक्त हो जाए तो यह कर्मकांड व्यर्थ सिद्ध होगा।
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शिव कि महिमाओ का वर्णन करके खुद को परम धन्य समझने वाली परम सोभाग्यशाली हिन्दुओ ने किस आधार पर … साई के नाम का घंटा बजाना चालू कर दिया … जवाब हो तो जरूर दीजिएगा …………. किस धर्मग्रंथ मे साई का नाम लिखा है???????? अगर तुम लोगो को संतो को पूजना ही आधुनिक फैशन लग रहा है अथवा साई को पूजने के लिए ये तर्क है तो … ऋषियों को पूजो न …..
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इस के अलावा एक ही धर्म के मानने वालों में समूह की भावना मजबूत करने के लिए उन्हें किन्हीं कर्म-काण्डों से जोडना जरूरी है-चाहे मीनार पे चढ कर चिल्लाना हो या २ टन का घंटा बजाना-ईश्वर हर जगह है और हमेशा सब देख रहा है लेकिन उसे उठाना इतनी जोर से है की सोता हुआ नास्तिक ये जाने की वो कुछ चूक कर रहा है और नर्क के डर से आस्तिक हो जाए चाहे लगे हाथ उस शोर में किसी मुझ जैसे माईग्रेन के मरीज का सर दर्द से बेडा गर्क हो जाए.
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इस के अलावा एक ही धर्म के मानने वालों में समूह की भावना मजबूत करने के लिए उन्हें किन्हीं कर्म-काण्डों से जोडना जरूरी है-चाहे मीनार पे चढ कर चिल्लाना हो या २ टन का घंटा बजाना-ईश्वर हर जगह है और हमेशा सब देख रहा है लेकिन उसे उठाना इतनी जोर से है की सोता हुआ नास्तिक ये जाने की वो कुछ चूक कर रहा है और नर्क के डर से आस्तिक हो जाए चाहे लगे हाथ उस शोर में किसी मुझ जैसे माईग्रेन के मरीज का सर दर्द से बेडा गर्क हो जाए.