जैसे सुबह धुंधलका छाया हो, घना कुहासा हो, हाथ को हाथ न सूझे, ऐसी दशा है।
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छायावाद ने ज़रूर एक घना कुहासा उत्पन्न किया लेकिन उसे भेदने वाला सूर्य भी उसी के बीच से उगा और चमका।
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ठंड का आलम यह है कि दिन में भी घना कुहासा छाया रहता है और सूर्य का दर्शन दुर्लभ हो गया है ।
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गत महीने चीन में प्रदूषण की वजह से कई दिनों तक घना कुहासा छाया रहा जिसकी वजह से कई उडानें रद्द करनी पड़ी थी।
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दूर तक फैला घना कुहासा है, देता कुछ नहीं दिखाई है, फिर आज तेरे बच्चों ने ही, ऐ भारत माँ तेरी हंसी उड़ाई है, संस्कृतियाँ हो रही शून्य है, पश्चिमी झंझावातों में पड़कर, जो चले आ रहे मानव मूल्य सदियों से, बिक रहे...
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अनेक बार ऐसा होता है कि परिस्थितियाँ तो ठीक होती हैं, पर मन को एक घना कुहासा घेर लेता है, आ खड़े होते हैं कितने ही अंतर्द्वन्द्व, कितने ही सवालों की चुभन टीसती है, तब ये प्रेरक प्रसंग मन के अँधेरों में उजियारी किरणों की तरह उतरते हैं।
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' ' आप यूं फ़ासलों से ग़ुज़रते रहे. दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही '' में ताने उलाहने का भाव है, या शिकायत है किंतु फिर उस हंसी का क्या? जो मुखड़े को शुरू करती है और अगले ही क्षण '' आहटों से अंधेरे चमकते रहे रात आती रही रात जाती रही '' में रहस्यवाद का घना कुहासा छा जाता है मानो महादेवी वर्मा का उर्दू रूपांतरण हो गया हो।
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नासूर टीस सी उठती है जब रगों में दौड़ता है धुआँ जो तुम्हारी सिगरेट से निकलता हुआ मुझे हर पल, हर घडी अहसास दिलाता है कि तुम्हारा शौक हमें दूर कर देगा...... हेमंत ऋतु पर कुछ हाइकू शीतल जल रविकर किरण हिम पिघल आग जलाई कहर निरंतर ओढ़ रजाई चौपट धंधे हैं चिंतित किसान छुपे परिंदे गर्म तसला मुरझाई फसल सूर्य निकला घना कुहासा खिलखिले सुमन शीतल भाषा पौष से माघ सुरसुरी पवन पानी सी आग शुरू गुलाबी मानव भयभीत शिशिर बाकी......