| 11. | 3. घर्घर के साथ खांसी: ऐसी खांसी प्रश्वसन के दौरान आवाज करती हुई प्रश्वसनी कष्ठ-श्वास अर्थात् घर्घर के साथ होती है।
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| 12. | 3. घर्घर के साथ खांसी: ऐसी खांसी प्रश्वसन के दौरान आवाज करती हुई प्रश्वसनी कष्ठ-श्वास अर्थात् घर्घर के साथ होती है।
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| 13. | लो, वह देखो, वानरी ध्वजा दूर से दिखायी पडती है, पार्थ के महारथ की घर्घर आवाज सुनायी पडती है.
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| 14. | 3. घर्घर के साथ खांसी: ऐसी खांसी प्रश्वसन के दौरान आवाज करती हुई प्रश्वसनी कष्ठ-श्वास अर्थात् घर्घर के साथ होती है।
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| 15. | 3. घर्घर के साथ खांसी: ऐसी खांसी प्रश्वसन के दौरान आवाज करती हुई प्रश्वसनी कष्ठ-श्वास अर्थात् घर्घर के साथ होती है।
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| 16. | दो राह, > > समय > > के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिहासन खाली करो की जनता आती है।
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| 17. | उनकी ही कविता थी-दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो / सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.
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| 18. | लो, वह देखो, वानरी ध्वजा दूर से दिखायी पडती है, पार्थ के महारथ की घर्घर आवाज सुनायी पडती है.
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| 19. | आवाज भी इतनी कम आती और इस तरह घर्घर नाद के साथ आती कि रेडियो से कानों को सटाकर रखना पड़ता था.
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| 20. | टूटे-फूटे एवं विकृत स्वर वाले अधम तथा भाग्यहीन तथा रूखे, क्रूर, ऊंचे तथा घर्घर स्वर वाले प्राणी प्रायः दुःखी होते हैं।
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