एक बीती घटना मुझे स्मरण आती है जब सारठ के घाटवाल के कनिष्ठ पुत्र की शादी बाका के निकट जोगडीहा नामक ग्राम में तय हुई।
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वहां कुलीन मैथिल ब्राह्मण, ऐतिहासिक घाटवाल घराने का बालक अगर ऐसा क्रांतिकारी व्यक्तित्व का विकास कर रहा हो तो निश्चय ही यह असाधाराण बात थी।
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इसी गाँव में आज से 90 वर्ष पूर्व वहां के (खैरबनी के) घाटवाल (जमींदार) ठाकुर वसंत कुमार झा जी के घर एक ' रत्न ' ने जन्म लिया जो आगे चलकर साहित्य एवं शिक्षा-जगत में आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ' पंकज ' के नाम से विख्यात हुआ।