इसके अलावा घातक अस्त्र जैसे फरसा, बल्लम, तलवार, भाला, चाकू, छूरा, कुल्हाडी, बरछी, त्रिशूल, लाठी लेकर नही चलेगा, न ही उसका उपयोग एवं प्रदर्शन करेगा।
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भारत में करोड़ों ऐसे लोग हैं जो ग्रहण के दिन गंगा में स्नान करते हैं और उक्त घातक अस्त्र की कठोरता को क्षत करने के लिए नाना अस्त्रों को आपस में टकराकर भयंकर निनाद उत्पन्न करते हैं।
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कोई भी व्यक्ति घातक अस्त्र जैसे फरसा, बल्लम, तलवार, भाला, चाकू, छुरा, कुल्हाडी, बरछी, त्रिशूल, लाठी आदि लेकर नही निकलेगा और न ही उसका उपयोग तथा प्रदर्शन करेगा।
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इस दौरान यदा कदा सभ्यता और संस्कृति के नाम आरएसएस, बजरंग दल, श्रीराम सेना जैसे हिन्दूवादी संगठनों ने उग्र होने की चेष्टाएं की थी लेकिन उन्होंने कभी घातक अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग कर निरीह निर्दोश लोगों को मारने जैसे कृत्यों में अपना विश्वास नहीं जमाया।
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ऐसा लगता है जैसे कि साफ छवि वाले मीडिया से भी अब पक्षपात की बू निकलने लगी है, जिससे उसके पत्रकारों को सवर्ण या दबंग नेताओं द्वारा सभाओं में तलवार या गदा जैसे घातक अस्त्र लहराने,स्वर्ण मुकुट धारण करने और सभाओं की व्यवस्था पर हुए भारी-भरकम खर्चों पर कोई आपत्ति तक नहीं होती लेकिन वे एक दलित समाज की एक महिला की प्रगति तथा उसके करोड़ों अनुयायियों द्वारा मिलकर दी जा रही एक-एक रूपये की भेंट और अपनी उपस्थिति को दर्ज कराने पर कुछेक के पेट में व्यंग-ब्लॉग पीड़ा तक उठने लगी है.