जाट देवता को मथुरा घुमने जाना था अतः वे अपने परिवार के साथ मथुरा चले गए और हम लोग रितेश जी के घर से अपना सामान लेकर तथा रात का खाना खा कर आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पहुँच गए जहाँ से हमें रात नौ बजे वाराणसी के लिए मरुधर एक्सप्रेस पकडनी थी।
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जाट देवता को मथुरा घुमने जाना था अतः वे अपने परिवार के साथ मथुरा चले गए और हम लोग रितेश जी के घर से अपना सामान लेकर तथा रात का खाना खा कर आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पहुँच गए जहाँ से हमें रात नौ बजे वाराणसी के लिए मरुधर एक्सप्रेस पकडनी थी।
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लो भाई मै भी आ गयी चर्चा करने, मुश्किल ये है कि जिसने खुद ही कंचनजंघा की इतनी सुन्दर चर्चा कर दी उसकी चर्चा करना मेरे लिये जरा मुश्किल काम हो गया, पर इनकी चर्चा देख के ऐसा लगा की और कहीं जाये ना जाये पर कंचनजंघा जरूर घुमने जाना चाहिये, भले ही इनकी चर्चा
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मे Lavanyam-Antarman जी की टिपण्णी से सहमत हु, बाकी permission तो मे भी लेता हु, कुछ भी करना हो नयी कार लेनी हो, कही घुमने जाना हो, या घर पर किसी को बुलाना हो, ओर हमारी बीबी भी हम से permission लेती हे, जिसे सभ्य भाषा मे सलाह कह सकते हे, तो क्या मतलब permission लेना गुलामी हे,
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लावण्या जी जब भी कोई जर्मन मुझ से पूछता है कि मैने भारत घुमने जाना है तो मेरा हमेशा यही कहना होता है कि अगर तुम १०, १५ दिनो के लिये टुर के संग जा रहे हो तो तुम्हे मेरा भारत गंदा लगे गा, ओर अगर आजादी के साथ यानि बिना टुर के जा रहे हो ओर कुछ ज्यादा समय के लिये जा रहे हो तो तुम हमेशा भारत के हो जाओगे....
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लावण्या जी जब भी कोई जर्मन मुझ से पूछता है कि मैने भारत घुमने जाना है तो मेरा हमेशा यही कहना होता है कि अगर तुम १०, १५ दिनो के लिये टुर के संग जा रहे हो तो तुम्हे मेरा भारत गंदा लगे गा, ओर अगर आजादी के साथ यानि बिना टुर के जा रहे हो ओर कुछ ज्यादा समय के लिये जा रहे हो तो तुम हमेशा भारत के हो जाओगे....