पसरा रहता घोर अँधेरा इन बिजली के तारों से जान न पाए पीढाओं को बाते चाँद सितारों से।
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जहाँ सायों का लगता मेला हो यादों का लगता डेरा हो जहाँ पसरा घोर अँधेरा हो हर चेतन डूबे जहाँ अवचेतन में...
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वहां दूर तक फैला उजाला ही उजाला है, यहाँ चारो तरफ फैला घन घोर अँधेरा है. …….. अनिल कुमार ‘ अलीन ' ……….
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उसी के बाद लोगो ने नदी का उदास काला पानी देखा, बादलों की तबाही देखी, आसमान में घोर अँधेरा देखा, हर तरफ निराशा देखी.....
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सूर्यास्त होने पर घोर अँधेरा छा गया सूर्य ने पूछा मेरे बाद प्रकाश कौन करेगा सभी तरफ खामोशी तभी मिट्टी के छोटे दीये ने कहा प्रकाश में करुँगा।
16.
कांटे मिलेंगे फूलों की, तुम चाह न करना,हो घोर अँधेरा कहीं,पर,तुम नहीं डरना,आगे ही आगे,बस,तुम्हें आगे ही है बढ़ना,होंगी कई बाधाएं,मगर,तुम नहीं रुकना
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ख़ुशी के समन्दर में, ये गम के बुलबुले क्यूँ है |अपनों के इस भीड़ में,हम यहाँ तन्हा क्यूँ है|यूँ तो सूरज रोज आता है, मेरे दर पर हर सुबह| फिर भी मेरे दर पर, ये घोर अँधेरा क्यूँ है |साथ चलने से यूँ
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ख़ुशी के समन्दर में, ये गम के बुलबुले क्यूँ है |अपनों के इस भीड़ में,हम यहाँ तन्हा क्यूँ है|यूँ तो सूरज रोज आता है, मेरे दर पर हर सुबह| फिर भी मेरे दर पर, ये घोर अँधेरा क्यूँ है |साथ चलने से यूँ...
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कांटे मिलेंगे फूलों की, तुम चाह न करना,हो घोर अँधेरा कहीं,पर,तुम नहीं डरना,आगे ही आगे,बस,तुम्हें आगे ही है बढ़ना,होंगी कई बाधाएं,मगर,तुम नहीं रुकना,अल्पना जी,बहुत अच्छा देशभक्ति का गीत...बच्चों को एक अच्छी राह दिखने वाला.बेटे को देर से ही सही मेरी ढेरों मंगलकामनाएं..
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वाकई आपकी बहु मुखी प्रतिभा की तारीफ़ करना होगी. कांटे मिलेंगे फूलों की,तुम चाह न करना,हो घोर अँधेरा कहीं,पर,तुम नहीं डरना,आगे ही आगे,बस,तुम्हें आगे ही है बढ़ना,होंगी कई बाधाएं,मगर,तुम नहीं रुकना,कविता के मीटर से पता चलता है कि इसे धुन में बांधकर गाया जा सकता है.