| 11. | रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय...
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| 12. | तीरथ एक कहा कहिये, तहां भुवन चतुर्दश धावै ।।
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| 13. | रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
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| 14. | वेद चतुर्दश विद्याओं का सार है।
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| 15. | वेद चतुर्दश विद्याओं का सार है।
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| 16. | रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।।
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| 17. | रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।।
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| 18. | * चतुर्दश परिवर्त में सुसम्भव नामक राजा का वृत्तान्त है।
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| 19. | विंशति नव षोडश पञ्चदशाष्ट चतुर्दश सप्त।।
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| 20. | रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय… ॥
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