| 11. | चन्द्र बल दो मे होगा और करण चतुष्पाद होगा, चर राशियों में वृष राशि का योगदान होगा।
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| 12. | प्रजातंत्र के भी चतुष्पाद हैं और अक्सर दो पाद बीमार रहते हैं या उनके पाँवों पर प्लास्टर चढ़ा रहता है।
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| 13. | ज्योतिषाचार्य पं. जीएम हिंगे के अनुसार जिस प्रकार चतुष्पाद में सिंह उसी प्रकार सत्ताईस नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ है।
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| 14. | पुराणों में इस संदर्भ की अनेकशः व्याख्या की गई है और बताया गया है कि कृतयुग में धर्म चतुष्पाद प्रतिष्ठत होता है।
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| 15. | उल्वीय अण्डों की उत्पत्ति हुई, जो कि भूमि पर भी दिये जा सकते थे, जिससे चतुष्पाद भ्रूणों को अस्तित्व का लाभ प्राप्त हुआ.
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| 16. | उस समय संस्कार कर्ता बैल के कान में कहता है, ” ” भगवान् धर्म को स्वयं चतुष्पाद वृष के रुप में माना जाता है।
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| 17. | मानव एवं अन्य अधिकतर मनुष्य-सदृश चतुष्पाद कशेरुकी पशुओं के अगले पादों के जोड़े को कहते हैं, जिसके छोर पर कई (प्रायः पांच) अंगुलियां होती हैं।
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| 18. | कुल 11 करण होते हैं-बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।
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| 19. | बकौल श्रोत्रिय उनकी भाषा व्याकरण, अभिधा, व्यंजना और छंद के चतुष्पाद पर खड़ी दिलीप की नंदिनी है, जिसकी रक्षा में वे धनुष ताने हैं।
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| 20. | अभेद मानने के कारण ही निम्बार्क ने ब्रह्म को निर्गुण माना है, किन्तु सृष्टि के रूप में ब्रह्म सगुण है, निम्बार्क ब्रह्म को चतुष्पाद मानते हैं।
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