लोकतंत्र की बहाली का जो काम बेनज़ीर अधूरा छोड़ गई हैं, वहां के लोग अग़र उसे पूरा नहीं कर पाए तो यह उस चमत्कारी नेता की शहादत का अपमान होगा.वे हमारे बीच नहीं हैं.
12.
किसी एक नेता ने जनता से विद्रोह का झंडा उठाने का आव्हान नहीं किया था और न ही जनता के रोश को शांतिपूर्ण विद्रोह की दिशा देने के लिए कोई चमत्कारी नेता सामने आया था।
13.
किसी एक नेता ने जनता से विद्रोह का झंडा उठाने का आव्हान नहीं किया था और न ही जनता के रोष को षाँतिपूर्ण विद्रोह की दिषा देने के लिए कोई चमत्कारी नेता सामने आया था।
14.
उनका ये आचरण तो निंदनीय था ही किन्तु मोदी जिन्हें इस वक़्त सबसे लोकप्रिय नेता, चमत्कारी नेता, सबसे सफल मुख्यमंत्री जैसे विशेषणों से नवाज़ा जा रहा है का आचरण क्या कहा जायेगा? मुझे पता है सब यही कहेंगे-
15.
इस तरह के अभियान शुरू के दो वर्षों में चलाए जाने चाहिए, ताकि लोगों में यह विश्वास पैदा हो सके कि गलत चीजों से लड़ा जा सकता है, स्वस्थ बदलावसंभव है और इसके लिए किसी बड़े या चमत्कारी नेता की आवश्यकता नहीं है।
16.
उनकी छवि एक चमत्कारी नेता की थी, जनता के आदमी की, जो एक लोकप्रिय राजनेता होने के साथ विचारक और बौद्धिक विमर्शकार भी था और एक राष्ट्रवादी सिपाही भी, जिसके इतिहासबोध और उद्देश्यों में अखिल लातिन अमेरिका की अनुगूंज थी।
17.
इस तरह के अभियान शुरू के दो वर्षों में चलाए जाने चाहिए, ताकि लोगों में यह विश्वास पैदा हो सके कि गलत चीजों से लड़ा जा सकता है, स्वस्थ बदलाव संभव है और इसके लिए किसी बड़े या चमत्कारी नेता की आवश्यकता नहीं है।
18.
इस बार के चुनाव कई मायनों में काफी दिलचस्प हो सकते हैं, वर्तमान में उत्तराखंड क्रांति दल और कुछ निर्दलियों के सहयोग से यहाँ भाजपा सत्ता सीन है लेकिन पिछले पाँच सालों में तीन तीन मुख्यमंत्रियों के हाथ में सत्ता देने के बाद भी भाजपा के लिए इन चुनावों की डगर आसान नहीं दिख रही है, दूसरी प्रमुख पार्टी कांग्रेस को देखें तो लगता है उसका बियावान भी उजड़ा ही है, अब ना तो कांग्रेस के पास नारायण दत्त तिवारी जैसा कोई चमत्कारी नेता है और ना ही लोकप्रियता.
19.
इस बार के चुनाव कई मायनों में काफी दिलचस्प हो सकते हैं, वर्तमान में उत्तराखंड क्रांति दल और कुछ निर्दलियों के सहयोग से यहाँ भाजपा सत्ता सीन है लेकिन पिछले पाँच सालों में तीन तीन मुख्यमंत्रियों के हाथ में सत्ता देने के बाद भी भाजपा के लिए इन चुनावों की डगर आसान नहीं दिख रही है, दूसरी प्रमुख पार्टी कांग्रेस को देखें तो लगता है उसका बियावान भी उजड़ा ही है, अब ना तो कांग्रेस के पास नारायण दत्त तिवारी जैसा कोई चमत्कारी नेता है और ना ही लोकप्रियता.