जिस दिन हमने ज़मीन पर पलथी मारकर खाना छोड़ा और डायनिंग टेबल पर आ गए, पंगत, टेबल पर स्टेनलेस की थाली, कटोरी में होने लगीं और अंतत: ' स्वरुचि भोज ' के लुभावने नाम से प्लास्टिक की प्लेट्स और कटोरियों में ' गिद्ध भोज ' की खड़ी पंगत होने लगी ठीक उसी दिन से हमारी अनेक भारतीय परंपराओं का चरमराना शुरू हुआ।