और कभी कभी ऐसे अशख़ास नज़र आते हैं जो अपनी सआदत और ख़ुशहाली को नज़र अंदाज़ कर देते हैं जैसे बाज़ औक़ात एक शख़्स ख़ुदकुशी करके अपनी ज़िन्दगी को ख़त्म कर लेता है या ज़िन्दगी की दूसरी लज़्ज़तों को चश्मपोशी कर लेता है, अगर ऐसे लोगों की रूही हालत पर ग़ौर करें तो देखेगें कि यह लोग अपनी फिक्र और नज़रिये के मुताबिक़ ख़ास वुजूहात में ज़िन्दगी की सआदत को परखते और जाँचते हैं और उनही वुजूहात और अनासिर में सआदत समझते हैं।
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ऐसे हालात में मैंने देखा के मेरे पास न कोई मददगार है और न कोई दिफ़ाअ करने वाला सिवाए मेरे घरवालों के, तो मैने उन्हें मौत के मुंह में देने से गुरेज़ किया और बाला आखि़र आँखों में ख़स व ख़ाशाक के होते हुए चश्मपोशी की और गले में फन्दे के होते हुए लोआबे दहन निगल लिया और ग़ुस्से को पीने में ख़ेज़ल से ज़ियाह तल्ख़ ज़ाएक़े पर सब्र किया और छुरियों के ज़ख़्मों से ज़्यादा तकलीफ़देह हालात पर ख़ामोशी इख़्तेयार कर ली।