किसी भी व्यक्ति के चित्त की दशा और उसके कामकाज की व्यस्तता के आधार पर तीन या अधिकतम दो सुधार ला सकना ही बहुत कठिन है.
12.
जैसे किसी महात्मा संन्यासी के सम्मुख जाकर हमारे चित्त की दशा हो जाती है, उसकी प्रकार प्रताप के हृदय में स्वत: प्रायश्चित के विचार उत्पन्न हुए।
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किसी भी व्यक्ति के चित्त की दशा और उसके कामकाज की व्यस्तता के आधार पर तीन या अधिकतम दो सुधार ला सकना ही बहुत कठिन है.
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जैसे किसी महात्मा संन्यासी के सम्मुख जाकर हमारे चित्त की दशा हो जाती है, उसकी प्रकार प्रताप के हृदय में स्वत: प्रायश्चित के विचार उत्पन्न हुए।
15.
ध्यान रहे, यह जो हमारे चित्त की दशा है, यह बता रही है कि हमारा करना कहीं और से आ रहा है और हमारी समझ उतनी गहरी नहीं जहां से करना आ रहा है।
16.
एक आदमी की चित्त की दशा पाप की हो, अंधकार की हो, तो वह कुछ भी करे, कुछ भी करे, कितना भी पानी छाने, कितनी ही बार छाने, उसकी हिंसा नहीं मिटेगी।
17.
और कितना ही रात को खाए, न खाए, कितना ही उपवास करे, न करे, कितनी ही पूजा करे, कितनी ही प्रार्थना करे-कुछ भी करे, लाख करे-अगर भीतर चित्त की दशा अंधकारपूर्ण है, उसका सब करना पापपूर्ण होगा।
18.
शरीर के तल पर सम्यक आहार स्वास्थ्यपूर्ण हो, अनुत्तेजनापूर्ण हो, अहिंसक हो और चित्त के आधार पर आनंदपूर्ण चित्त की दशा हो, प्रसादपूर्ण मन हो, प्रसन्न हो, और आत्मा के तल पर कृतज्ञता का बोध हो, धन्यवाद का भाव हो।
19.
महावीर कहते हैं, मन की सारी क्रिया शून्य हो जाये, नय-पक्षरहित हो जाये-सव्वणयपक्खरहिदो-तो जो शेष रह जाता है उस निष्क्रिय चित्त की दशा में जिसको लाओत्सु ने वू-वेइ कहा है-ऐसी निष्क्रियता, दर्पण जैसी निष्क्रियता ; जैसे दर्पण “ जो है ' उसको झलका देता है।
20.
क्या अब माधवी के चित्त की दशा सुवामा से छिप सकती थी? वह बहुधा सोचती कि क्या तपस्विनी इसी प्रकार प्रेमग्नि मे जलती रहेगी और वह भी बिना किसी आशा के? एक दिन वृजरानी ने ‘ कमला ' का पैकेट खोला, तो पहले ही पृष्ठ पर एक परम प्रतिभा-पूर्ण चित्र विविध रंगों में दिखायी पड़ा।