बस, जल्दी दो, मुझ गरीब को मत सताओ! '' मुंशी ने कहा, “ अजब आदमी है, इसको अपनी ही पड़ी है! ठहर जा, जल्दी क्यों करता है! ” नकली रामलाल ने चिल्लाकर कहना शुरू किया, ‘‘ दुहाई महाराज की, मेरे रुपये मुंशी नहीं देता।
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कितना आसान है न गला फाड़ कर चिल्लाकर कहना... “ अबे चिरकुट ”.... कोई बुरा मानने से पहले पडोसी से पूछेगा “ चिरकुट माने ”? कल रात हम उंघियाये से हम वैसे ही सिल्वेस्टर इस्टालिन की एक मूवी देख रहे थे... “ डिमोलीशन मेन ” कई सालो बाद फ्रीज करके रखा पोलिस वाला ओपन किया जाता है..