डॉ अरविन्द दुबे एक अच्छे विज्ञान कथाकार हैं उन्होंने यहाँ एक भावपूर्ण आलेख लिखा है और एक वयोवृद्ध (?) विज्ञान कथाकार की चुटकी लेना नहीं चूके हैं जिसने विज्ञान कथाये लिखनी बहुत कम कर दी हैं!
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' ' क्या दादा आप फिर लघुकथा लेकर बैठ गए, फिर आप उपन्यास की चर्चा करने लगेंगे '-मैंने चुटकी लेना चाहा, लेकिन दादा का गंभीर चेहरा देख मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ।
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लेकिन पार्टी के भीतर भी जब कोई विधायक यह कर उठता है कि जा रहा हूं खां साहब से मिलने तो संगी साथी यह चुटकी लेना नहीं भूलते कि बच के रहना, खां साहब रिवाल्वर भी रखते हैं।
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रवि मिलता है तो उससे चुटकी लेना नहीं भूलता हूँ..“ यार रवि! लगता है इशांत ने तुम्हारी बात सुन ली और दिल पे ले लिया” इशांत की गेंदों की रफ़्तार में भी गज़ब इजाफा हुआ है और उसकी ज़िंदगी में भी.....
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इस चुनाव में गाली-गलौच, तू-तू-मैं-मैं भी ही रही है मकसद है विपक्षी पार्टियों को चिढ़ाना, चुटकी लेना, ताना कसना नीचा दिखाना और चुनाव में पटकनी देना इसी की वजह से देश का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है.
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देवर जी समझा लेवें और ननद का चुटकी लेना उस पूरे स्टीरियोटाइप रुढ़िवादी सिस्टम को दर्शाता है जिसमें कोई नई बहू एक अजनबी के रूप में शामिल होती है और वह खुद इस स्टीरियोटाइप से अनुकूलन कर खुद भी इसी परंपरावादी रुढ़िवादी सिस्टम का अंग बन जाती है।
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तपती दोपहरी, धूल भरी हवायें और भीड़ के बीच से भागने वालों को जनता अब वोट देते समय भी याद रखेगी, इसलिए हर मुद्दे पर राहुल गांधी की चुटकी लेने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि एसी रूम से चुटकी लेना बंद नहीं किया, तो उनकी चुटकी उन पर ही भारी पड़ सकती है।
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तपती दोपहरी, धूल भरी हवायें और भीड़ के बीच से भागने वालों को जनता अब वोट देते समय भी याद रखेगी, इसलिए हर मुद्दे पर राहुल गांधी की चुटकी लेने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि एसी रूम से चुटकी लेना बंद नहीं किया, तो उनकी चुटकी उन पर ही भारी पड़ सकती है।
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उम्र के विवाद का उच्चतम न्यायालय में पटाक्षेप होने के बाद जब सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह का आज रक्षा मंत्री ए के एंटनी से आमना सामना हुआ तो दोनों ने हल्केफुल्के क्षणों में बीते दिनों के तनावों को ठहाकों के साथ हवा में उड़ा दिया लेकिन एंटनी अपने सधे हुए अंदाज में चुटकी लेना भी नहीं भूले।
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आजकल रूठने और मानने की क्रिया भी जल्द करनी पड़ती है, क्या पता-फिर रूठने का मौका न मिले या फिर लोग मनाना ही छोड़ दे! कांग्रेस तो अपनी खुशी पचा नहीं पा रही है-कभी बी जे पी का अंदरुनी मामला कह चुटकी लेना और फिर आडवाणी जी के साथ सहानुभूति का नाटक! शरद यादव और नितीश भी कहाँ चूकने वाले थे.