भाँग घुले कुए में नज़र कुछ नहीं आता है, बस, महसूस करता हूँ, कभी साँप का डसना, बिच्छू का डंक चुभाना, गोयरे की फूफकार ….
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खबर में सबसे मजेदार बात यह थी कि उसे देख कर आप समझ तो जाते कि लिखने वाले का उद्देश्य कुछ चुभाना है, पर आप जाहिरा तौर पर कुछ कह नहीं सकते.
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खबर में सबसे मजेदार बात यह थी कि उसे देख कर आप समझ तो जाते कि लिखने वाले का उद्देश्य कुछ चुभाना है, पर आप जाहिरा तौर पर कुछ कह नहीं सकते.
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दोस्ताना क्या हमने दिखा दिया, दुश्मन अपना उन्हें बना लिया! तरस क्या खायें उस पर हम, खुद को तमाशा जिसने बना लिया! आईना तो झूठ कहता नहीं, अक्स ही झूठा उसने बना लिया! दर्द को और काँटे चुभाना नहीं, दिल में घर उसने अपना बना
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तुम्हारे सिवा भी दर्द बहुत थेकुछ मिट गए, कुछ बीत गएकुछ रीत गएबाकी सब रह रहकर चुभते है पर एक वो जो न बीता न रीता और न ही भूलाऔर चुभाना तो दूर जिस कमबखत ने छुआ तक नहीं मुझेबस एक आदत सा साथ साथ चलता हैराग राग में बसा रहता है पर आज भी कुआर हैवह दर्द तुहारा है...
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तुम्हारे सिवा भी दर्द बहुत थेकुछ मिट गए, कुछ बीत गएकुछ रीत गएबाकी सब रह रहकर चुभते है पर एक वो जो न बीता न रीता और न ही भूलाऔर चुभाना तो दूर जिस कमबखत ने छुआ तक नहीं मुझेबस एक आदत सा साथ साथ चलता हैराग राग में बसा रहता है पर आज भी कुआर हैवह दर्द तुहारा है
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अब आप अपने लिए जीना शुरू कीजिये.....जिन चीजों में आपको ख़ुशी मिलती है वो करिए...माँ हो कर उन रिश्तों का जिन्हें आपने जतन से संभाला-दुलारा समय के साथ उनका बिखरना,उनका चुभाना बहुत दुखता है.ये रिश्ते नाते सब स्वार्थी होते हैं......सब समझदार हैं सब जानते हैं की वो क्या सही,क्या ग़लत कर रहे हैं.
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तुम्हारे सिवा भी दर्द बहुत थे कुछ मिट गए, कुछ बीत गए कुछ रीत गए बाकी सब रह रहकर चुभते है पर एक वो जो न बीता न रीता और न ही भूला और चुभाना तो दूर जिस कमबखत ने छुआ तक नहीं मुझे बस एक आदत सा साथ साथ चलता है राग राग में बसा रहता है पर आज भी कुआर है वह दर्द तुहारा है