चूर्णिल आसिताः-इस रोग में भिंडी की पुरानी निचली पत्तियों पर सफेद चूर्ण युक्त हल्के पीले धब्बे पड़ने लगते है।
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चूर्णिल आसिताः-इस रोग में भिंडी की पुरानी निचली पत्तियों पर सफेद चूर्ण युक्त हल्के पीले धब्बे पड़ने लगते है।
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नींबू वर्गीय पौधों में सफेद चूर्णी फफूद रोग या चूर्णिल आसिता (पाउरीमिल्डयू बीमारी) मौसम के गर्म होने से प्रारम्भ होती है.
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पौध संरक्षणः-भिंडी के प्रमुख रोग पीत शिरा मौजक एवं चूर्णिल आसिता एवं नुकसानदायक कीट प्ररोेह एवं फल छेदक तथा जैसिड है।
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पौध संरक्षणः-भिंडी के प्रमुख रोग पीत शिरा मौजक एवं चूर्णिल आसिता एवं नुकसानदायक कीट प्ररोेह एवं फल छेदक तथा जैसिड है।
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चूर्णिल आसिता रोग को नियंत्रित करने के लिए कैराथेन या सल्फर नामक दवा (1-2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए ।
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चूर्णिल आसिता रोग को नियंत्रित करने के लिए कैराथेन या सल्फर नामक दवा (1-2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए।
18.
इनमें मुख्यत: रेड पम्पकिन बीटल (लाल कीड़ा), चेंपा, फलमक्खी, पाउडरी मिल्डयू (चूर्णिल आसिता) तथा डाउनी मिल्डयू (रोमिल आसिता) मुख्य हैं।
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चूर्णिल आसिता रोग के लिए गंधक चूर्ण कवकनाशी का प्रयोग २ ग्राम / प्रति लीटर पानी की दर से करना चिहिए| रोग की पहचान होते ही दवा का प्रोग लाभदायक होता है
20.
उकठा रोग अपनायी जाने वाली प्रमुख क्रियायें: १. समय पर रोग प्रतिरोधी/रोग सहिष्णु प्रजातियों के प्रमाणित बीज की बुवाई करें जैसे चूर्णिल असिता रोग की प्रतिरोधी प्रजाति रचना, पन्त मटर-मालवीय मटर आदि बुवाई हेतु प्रयोग करना चाहिए जिससे रोग की उग्रता में कमी आती है २.