गीता का उपदेश इतना अलौकिक पुण्य और ऐसा विलक्षण है की जीवन पथ पर चलते चलते अनेक निराश और श्रांत पथिकों को इसने शांति, आशा और आश्वासन दिया है और उन्हें सदा के लिए चूर चूर होकर मिट जाने से बचा लिया है, जैसे इसने अर्जुन को बचाया l
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परन्तु ज्यों-ज्यों उसकी उम्र गुजरती गई तथा वह जिंदगी के यथार्थ धरातल से परिचित होती गई, एक-एककर उसके सारे सपने चूर चूर होकर टूटते नजर आए.सपनों को टूटता देखकर भी उसने हिम्मत नहीं हारी,वरन वह अपनी दुगुनी शक्ति के साथ जीवन की कठोरताओं के साथ डटकर संघर्ष करने के लिए तत्पर हो गई.संघर्ष करते-करते अब उसका जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल गया था.