भूपटल और ऊपरी प्रावार में भूवैज्ञानिक युटिजनक बल और उनके पैटर्नी महाद्वीपीय च्युति और ध्रुवीय परिभ्रमण के लिये अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी हो सकते हैं।
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भूपटल और ऊपरी प्रावार में भूवैज्ञानिक युटिजनक बल और उनके पैटर्नी महाद्वीपीय च्युति और ध्रुवीय परिभ्रमण के लिये अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी हो सकते हैं।
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तदनन्तर अविदूर निदान अर्थात तुषितलोक से च्युति से लेकर सम्यग ज्ञान की प्राप्ति तक की कथा से प्रारम्भ कर समग्र बुद्धचरित का वर्णन सुनाने लगे।
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अन्य चोटों में शामिल है नेत्र आघात [13] [14], रस्सी से जलन, गर्भाशय च्युति, विस्थापन, खंरोच, उंगलियों में ऐंठन और पीठ में चोट.
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इसपर अन्य देवगणों ने कहा, ‘ वह कुल मातंग च्युति से उत्पन्न हुआ है, वह मातृ-पितृ शुद्ध नहीं है और हीन धर्म पर श्रद्धा रखनेवाला है.