| 11. | भारत सरीखे बहुस्तरीय समाज में, छपे हुए शब्द की महत्ता कम नहीं होने वाली।
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| 12. | लिखे-छपे हुए शब्द के प्रति ऐसा मोह! दुनिया कहाँ से कहाँ
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| 13. | अरविन्द मोहन जैसे वरिष्ठ पत्रकारों के लिए, छपे हुए शब्द हमेशा वजनी रहे हैं।
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| 14. | खासतौर से जो छपे हुए शब्द का महत्व है, वो तो कभी खत्म नहीं होता।
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| 15. | भारत सरीखे बहुस्तरीय समाज में, छपे हुए शब्द की महत्ता कम नहीं होने वाली।
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| 16. | जब तक पत्रकारिता थी तब तक प्रेस थी, अखबार थे, छपे हुए शब्द थे।
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| 17. | उम्मीद बराबर जताई जाती रही है कि छपे हुए शब्द कभी चलन से बाहर नहीं हाेंगे।
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| 18. | मैं ये नहीं कहता कि प्रिंट मीडिया की अहमियत नहीं-छपे हुए शब्द आज भी बेहद कीमती हैं।
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| 19. | मैं ये नहीं कहता कि प्रिंट मीडिया की अहमियत नहीं-छपे हुए शब्द आज भी बेहद कीमती हैं।
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| 20. | जब तक पत्रकारिता थी तब तक प्रेस थी, तब तक अख़बार थे, तब तक छपे हुए शब्द थे।
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