| 11. | भयभीत होकर चन्द्रमा पेड की आड में छि
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| 12. | छि: ये तो कड़वा है, जहर है पूरा!
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| 13. | छि: छि:! पत्तल घर लाऊँ।
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| 14. | छि: छि:! पत्तल घर लाऊँ।
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| 15. | छि:! उठ उसके पवित्र चरणों की धूलि ले।”
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| 16. | छि छि यही दिन देखने को बचे थे.
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| 17. | छि छि यही दिन देखने को बचे थे.
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| 18. | ०५ सबक कष्ट हरे छि श्यामा मैया
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| 19. | विस्नुपुरण से इ कथा के लेने छि
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| 20. | छि:, दुराचारी पामर ब्रह्मचारी! तुमने मेरे प्राण क्यों लौटाये?
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